Sunday, January 6, 2008

तकदीर और महेनत

सब के घर मे उजाला
मेरे घर मे अँधेरा क्यों
सब के हाथो मे लकीरे
मेरा हाथ खाली क्यों

न झुकुगा तेरे आगे
करूँगा उजाला दीये से
जलाऊंगा दीया घर मे
अपने खून पसीने से

खिचुगा लकीरे अपने हाथो मे
मै अपनी महेनत से
होगा दुनिया मे नाम मेरा
मेरी अपनी महेनत से

न बैठे रहे बरोसे किस्मत के
मिलती है किस्मत महेनत से
परोसा हुआ खाना भी
खाना परता है हाथो से

माँ शक्ति दे इन हाथो मे
न जी चुराए कभी महेनत से
बदलूंगा तकदीर मेरी
मै पानी महेनत से

हर हाल मे जीना है - 2

हार हमारी मंजिल नही
हार के फिर हमे जीतना है
फतह हो जबतक संगर्ष हमे करना है
हमे तो हर हाल मे जीना है

मौत हमारा इरादा नही
जिन्दगी से लड़ना है
जब तक है साँस तब तक हमे जीना है
हमे तो हर हाल मे जीना है

जीना है सब के लिए
छुपाकर गम अपना
सब को हँसाना है
हमे तो हर हाल मे जीना है

देखो इस दीपक को
जलकर भी रोशन है
जलाकर खुदको कुन्दन हमे बनना है
हमे तो हर हाल मे जीना है.