Thursday, July 24, 2008

तरप

चाँद कल फिर तू छत पर आना
साथ मेरे साजन को लाना
चाँद कल फिर तू छत पर आना

खता थी क्या मेरी
जो वो रूठे है हमसे
कुछ तो सिला बतलाना
चाँद कल फिर तू छत पर आना
साथ मेरे साजन को लाना

देती है सखिया ताने
हरजाई है साजन तेरा
नही वो बेवफा यह उनको बतलाना
चाँद कल फिर तू छत पर आना
साथ मेरे साजन को लाना

थी वो चांदनी रात जब
हम पहेली बार मिले थे
कसम है तुझे गवाही तू देना
चाँद कल फिर तू छत पर आना
साथ मेरे साजन को लाना

दीवानी सी फिर रही हु मै
दर दर भटक रही हु मै
प्यार मे पागल हु यह उनको बतालाना
चाँद कल फिर तू छत पर आना
साथ मेरे सजन को लाना

आखरी आरजू है मेरी
उनकी बाहों में दम निकले
एक पल के लिए उनको लाना
चाँद कल फिर तू छत पर आना
साथ मेरे साजन को लाना

ऐ चाँद कसम है तुजे मेरी
अगर न आए वो
तू भी मत आना, आना तो
साथ मेरे सजन को लाना
साथ मेरे साजन को लाना
साथ मेरे सजन को लाना
चाँद कल फिर तू छत पर आना