Saturday, January 12, 2013

मेरी  माँ 

कैसे पिरोउ  श्ब्दोकी माला कि कैसी है माँ मेरी 
प्रथ्वी  सी  गोद , आस्मा  सा  अंचल ,
मस्त हवाओ  जैसी  लोरी, बरखा  जैसे प्यार  बरसाती 
ममता  की  मूरत  है माँ मेरी 
कैसे पिरोउ श्ब्दोकी माला कि कैसी है माँ मेरी
नहीं  सूद  उसे  अपनी 
हर  वक़्त  है ख्याल  मेरा 
भूखे  रहे  कर  मुझे  खिलाती 
अन्पुरना  जैसी  है माँ मेरी 
कैसे पिरोउ श्ब्दोकी माला कि कैसी है माँ मेरी
पढ़ा लिखा कर विधवाना बनाया 
गीता का दिया  ज्ञान मुझे 
भले बुरे की दी पहेचन मुझे 
सरस्वती  देवी  जैसे है माँ मेरी 
कैसे पिरोउ श्ब्दोकी माला कि कैसी है माँ मेरी
कोई क्या जाने दर्द उनका 
जिनके साथ नहीं है माँ 
खुश नसीब हु मै, मेरे साथ है माँ मेरी 
इश्वर का वरधान  है माँ मेरी 
कैसे पिरोउ श्ब्दोकी माला कि कैसी है माँ मेरी
प्रार्थना है प्रभु तुमेसे मेरी 
न अनाथ हो बचॆ  जग में 
सबकी माँ हो ऐसी, जैसी   है माँ मेरी 
प्यारी सी है माँ मेरी 
कैसे पिरोउ श्ब्दोकी माला कि कैसी है माँ मेरी