कैसा है मीत मेरा
ऐ हवाओ कुछ तो बताओ
होकर आयी हो उनकी गलियों से
धड़कता है जैसे दील मेरा
याद करके उनको
धक् धक् करता होगा दील उनका
ऐ हवाओ कुछ तो बताओ
होकर आयी हो उनकी गलियो से
नीद नहीं आती रातो में
करवटे बदलते है रातो में
वो भी तो गिनती होगी तारे रातो में
ऐ हवाओ कुछ तो बताओ
होकर आयी हो उनकी गलियो से
कुछ दीनोकी है यह दूरी
कुछ है मजबूरी
मिलेगे फीर हम तुम
नहीं रहेगी फीर दूरी
ऐ हवाओ तुम बताना उनको
जब वापस गुजरो उनकी गलियो से
Saturday, December 26, 2009
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