Saturday, December 26, 2009

कैसा है मीत मेरा
ऐ हवाओ कुछ तो बताओ
होकर आयी हो उनकी गलियों से

धड़कता है जैसे दील मेरा
याद करके उनको
धक् धक् करता होगा दील उनका
ऐ हवाओ कुछ तो बताओ
होकर आयी हो उनकी गलियो से

नीद नहीं आती रातो में
करवटे बदलते है रातो में
वो भी तो गिनती होगी तारे रातो में
ऐ हवाओ कुछ तो बताओ
होकर आयी हो उनकी गलियो से

कुछ दीनोकी है यह दूरी
कुछ है मजबूरी
मिलेगे फीर हम तुम
नहीं रहेगी फीर दूरी
ऐ हवाओ तुम बताना उनको
जब वापस गुजरो उनकी गलियो से