समर्पण
सुनीता : सुनो इस महीने की १० तारीख को हमारी शादी की ५० वी सालग्रहः है
कितना जल्दी वक़्त गुजर गया, मानो ऐसा लगता है अभी अभी हमारी शादी हुई है.
आज भी मुझे वह दिन याद है जब पहेली बार हम मिले थे, तभी हमे तो कुछ पता ही नहीं था, में १२ साल की थी मेरी माँ ने बताया तुम्हारी शादी होने वाली है, शादी की सुनके में बहुत खुश हुई, शादी में तो बहुत खाने पीना और मिठाईया खाने को मिलती है.
शादी के बाद मै कितनी अल्ड थी, बचपना था, फिर धीरे धीरे शादी का मतलब समझ में आया, आज हमारे २ बच्चे है, दोनों की शादी हो गई, और हमारी कितनी सेवा करते है, मै बहुत खुश हु, फिर भी मैं और भी आप को खुश रखना चाहती हु
मुझमें कुछ खामियां होगी, कुछ गलतिया करती होगी, तो मै सोचा की हम एक दूसरे की गलतियों कमियों को एक कागज़ पर लिखे और १०। तारीख को पढ़े, इससे हम अपनी गलतियों को सुधरेगे और फिर कभी भी शिकायत का मौका नहीं देगे
सुमित : ठीक है
१० तारीख के दिन
सुनीता : मैंने तो इतनी बड़ी लिस्ट बनाई है आपकी शिकायत की, आप ने किया लिखा मेरी गलतिया निकाली,
मुझे बताओ,
सुमित: नहीं पहले तुम पढ़ो/ बताओ,
सुनीता : नहीं पहेल आप
सुमित : पहले लेडीस
सुनीता : ठीक है ,लेकिन आप गुस्सा नहीं करोगे, लिखी हुए लिस्ट सुमित के हाथ में दी,
आप कभी कभी बहुत गुस्सा करते हो, अगली शादी की सालग्रह पर आप ने मुझे मंगलसूत्र नया बनके देने का वायदा किया था, अभी तक नहीं बनवाया, ऐसी बहुत बड़ी लिस्ट थी.........
सुनीता: देखो मेरे दिल में जो आया वह लिख दिया, बुरा मत लगाना, अभी आप मुझे मेरी ग़लतियो की लिस्ट बता दो, मेरी तो बहुत गलतिया होगी, बताओ न, सुमित के हाथ से कागज़ छीन लिया, कागज़ पर कुछ भी नहीं था , सुनीता गुस हो गई, मेरे लिए इतना भी टाइम नहीं है कुछ लिखाही नहीं
सुमित: धीरे से मुस्कए, और बोले, मैंने बहुत सोचा, किया लिखता, कुछ नज़र ही नहीं आया, तुम मेरी जिंदगी में आई , माँ बाप को छोड़ कर मेरा घर बसाया, मेरे माँ बाप को सहारा दिया, मेरे हर दुःख सुख में मेरे साथ रही, मेरे बचों को अच्छे संस्कार दिये , मेरे लिया खाना बनाया, मेरे और मेरे बचो के लिया राते गवाई
जब सोचा तो मुझे तेरी कोई भी गलती दिखाई नहीं दी, जो तूने किया उसे आगे कोई गलतिया नज़र नहीं आयी
सुनीता रो पड़ी जट से सुमित के हाथो से अपनी लिखी हुई लिस्ट फाड् दी और उसे कंदे पर सिर रख के रोने लगी.