Monday, July 6, 2020


समर्पण 


सुनीता : सुनो इस महीने की १० तारीख को  हमारी शादी की ५० वी   सालग्रहः है
कितना जल्दी वक़्त गुजर गया, मानो  ऐसा लगता है अभी अभी हमारी  शादी  हुई है.

आज भी मुझे वह दिन याद है जब पहेली बार हम मिले थे, तभी हमे तो कुछ पता ही नहीं था, में १२ साल की थी मेरी माँ ने बताया तुम्हारी शादी होने वाली है, शादी की  सुनके  में बहुत खुश हुई, शादी में तो बहुत खाने पीना और मिठाईया खाने को मिलती है.

शादी के बाद मै  कितनी अल्ड थी, बचपना था, फिर धीरे धीरे शादी का मतलब  समझ में आया, आज हमारे २ बच्चे है, दोनों की शादी हो गई, और हमारी कितनी सेवा करते है, मै बहुत खुश हु, फिर भी मैं और भी आप को खुश रखना चाहती हु

मुझमें  कुछ खामियां  होगी, कुछ गलतिया करती होगी,  तो मै सोचा  की हम एक दूसरे की गलतियों  कमियों को  एक कागज़ पर लिखे और १०। तारीख को पढ़े, इससे हम अपनी गलतियों को सुधरेगे और फिर कभी भी शिकायत का मौका नहीं देगे

सुमित : ठीक है

१० तारीख के दिन


सुनीता : मैंने तो इतनी बड़ी लिस्ट बनाई है आपकी शिकायत की, आप ने किया लिखा  मेरी गलतिया निकाली,
मुझे बताओ,

सुमित: नहीं पहले तुम पढ़ो/ बताओ,

सुनीता : नहीं पहेल आप

सुमित : पहले लेडीस

सुनीता : ठीक है ,लेकिन आप गुस्सा नहीं करोगे, लिखी हुए लिस्ट सुमित के हाथ में दी,

              आप कभी कभी बहुत गुस्सा करते हो, अगली शादी की सालग्रह पर आप ने मुझे मंगलसूत्र नया बनके देने का वायदा किया था, अभी तक नहीं बनवाया,  ऐसी बहुत बड़ी लिस्ट थी.........

सुनीता: देखो मेरे दिल में जो आया वह लिख दिया, बुरा मत लगाना, अभी आप मुझे मेरी ग़लतियो की लिस्ट बता दो, मेरी तो बहुत गलतिया होगी, बताओ न, सुमित के हाथ से कागज़ छीन लिया, कागज़ पर कुछ भी नहीं था , सुनीता गुस हो गई,  मेरे लिए इतना भी टाइम नहीं है कुछ लिखाही नहीं

सुमित: धीरे से मुस्कए, और बोले, मैंने  बहुत सोचा, किया लिखता, कुछ नज़र ही नहीं आया, तुम मेरी जिंदगी में आई , माँ बाप को छोड़ कर मेरा घर बसाया, मेरे माँ बाप को सहारा दिया, मेरे हर दुःख सुख में मेरे साथ रही, मेरे बचों को अच्छे संस्कार दिये  , मेरे लिया खाना बनाया, मेरे और मेरे बचो के लिया राते गवाई
जब सोचा तो मुझे तेरी कोई भी गलती दिखाई नहीं दी, जो तूने किया उसे आगे कोई गलतिया नज़र नहीं आयी

सुनीता रो पड़ी जट से सुमित के हाथो से अपनी लिखी हुई लिस्ट फाड् दी और उसे कंदे  पर सिर  रख के रोने लगी.



Saturday, January 12, 2013

मेरी  माँ 

कैसे पिरोउ  श्ब्दोकी माला कि कैसी है माँ मेरी 
प्रथ्वी  सी  गोद , आस्मा  सा  अंचल ,
मस्त हवाओ  जैसी  लोरी, बरखा  जैसे प्यार  बरसाती 
ममता  की  मूरत  है माँ मेरी 
कैसे पिरोउ श्ब्दोकी माला कि कैसी है माँ मेरी
नहीं  सूद  उसे  अपनी 
हर  वक़्त  है ख्याल  मेरा 
भूखे  रहे  कर  मुझे  खिलाती 
अन्पुरना  जैसी  है माँ मेरी 
कैसे पिरोउ श्ब्दोकी माला कि कैसी है माँ मेरी
पढ़ा लिखा कर विधवाना बनाया 
गीता का दिया  ज्ञान मुझे 
भले बुरे की दी पहेचन मुझे 
सरस्वती  देवी  जैसे है माँ मेरी 
कैसे पिरोउ श्ब्दोकी माला कि कैसी है माँ मेरी
कोई क्या जाने दर्द उनका 
जिनके साथ नहीं है माँ 
खुश नसीब हु मै, मेरे साथ है माँ मेरी 
इश्वर का वरधान  है माँ मेरी 
कैसे पिरोउ श्ब्दोकी माला कि कैसी है माँ मेरी
प्रार्थना है प्रभु तुमेसे मेरी 
न अनाथ हो बचॆ  जग में 
सबकी माँ हो ऐसी, जैसी   है माँ मेरी 
प्यारी सी है माँ मेरी 
कैसे पिरोउ श्ब्दोकी माला कि कैसी है माँ मेरी

Saturday, September 22, 2012

हिन्दी दिवस 
 
 
हम  सब हिन्दुस्तानी  है 
हिन्दी हमारी  भाषा  है 
 
बाते  करते है अंग्रेजी मे 
कहते है हम हिन्दुस्तानी  है 
न बोले जो हिंदी
वोह कैसे हिन्दुस्तानी 
हम सब हिन्दुस्तानी है 
हिन्दी हमारी भाषा है
 
भाषाए  सभी है प्यारी 
तमिल, तेलगु या हो मराठी
पर एक सूत्र में जो बंधे 
वोह हिंदी भाषा है नियारी 
हम सब हिन्दुस्तानी है 
हिन्दी हमारी भाषा है
 
दिखा दो दुनिया वालो को 
एक दागे से बंधे है हम 
हिंदी हमारी भाषा है 
जय हिंद हमारा नारा है 
हम सब हिन्दुस्तानी है 
हिन्दी हमारी भाषा है
 
जय हिंद  
 
 

Wednesday, September 8, 2010

मुड मुड के

मुड मुड के जो देखा उसका चहेरा
धक् धक् करते रहे गया दिल मेरा

छाया है इस कदर दिलो दिमाग में
उस का चहेरा
देखता हूँ अयेना नज़र आता है
उस का चहेरा

नहीं कोई एसा इस दुनिया में
जैसे है उस का चहेरा
चाँद भी छुप जाता है बदलो में
देखकर उस का चहेरा

नहीं कोई एसी अप्सरा
जैसे है उस का चहेरा
फ़रिश्ते भी आकर धरती पर
देखते है उस का चहेरा

बनानेवाला भी इतराता होगा
बनके उस का चहेरा
नहीं फिर कभी बनाया
उस के जैसा चहेरा
नहीं है वो कोई और
जिसका देखा मैंने चहेरा
है वो मेरी जीवन संगनी
उसका है ऐसा चहेरा

हिंदी दिवस

हिंदी हमारी भाषा 

आज हिंदी दिवस है
बोलेगे लिखेगे सब हिंदी

भाषण करते है अंग्रेजी में
कहते है हम हिन्दुस्तानी
न बोले जो हिंदी
वो कैसे हिन्दुस्तानी

भाषाए सभी है प्यारी
तमिल तेलगु या हो मराठी
हमें लगे सभी प्यारी
पर एक सुर में जो बाधे 
वो हिंदी भाषा है न्यारी

कागज़ पर न अपनाओ
कागज़ तो फट कट जाते है
राजभाषा  का दर्जा दिया है
दिल से अपनाओ हिंदी को

दिखादो दुनियावालो को
एक दागे से बंधे है हम
हिंदी हमारी भाषा है
जय हिंद हमारा नारा है

Thursday, July 22, 2010

मुझे जीने दो 

तेरी कोख मे पल रही हु माँ 
मुझे इस दुनिया मे आने दे

मै तो निर्जीव थी
जीवन दिया तुने मुझे
अपने खून से है सीचा मुझे
मुझे इस दुनिया मे आने दे

देखती  हूँ दुनिया तेरी आँखों से 
महेसूस करती  हूँ तेरी बातो से
यह  दुनिया बढ़ी  खुबसूरत है
मुझे इस दुनिया मे आने दे

न मैंने कोई पाप किया
न तुने कोई पाप किया
तेरे प्यार की सौघात हूँ मै
मुझे इस दुनिया मे आने दे

न कर त्याग मेरा
ज़माने के तानो से
सामना तो करना होगा सारे जहा से 
मुझे इस दुनिया मे आने दे

आउंगी जब मे इस दुनिया मे
तेरा अंचल खुशियों से भर दुगी 
सोई हुई ममता को मै  फिर से जगा दूंगी 
मुझे इस दुनिया मे आने दे


तेरी कोख मे पल रही हु माँ 
मुझे इस दुनिया मे आने दे 



Saturday, March 13, 2010

क्या है पहेचन मेरी

कौन हूँ मै
क्या है पहेचन मेरी

बेटी हूँ मै कीसीकी
बहू मै कीसीकी
राखी बंधकर
बन गयी बहेन कीसीकी
क्या है पहेचन मेरी

सात फेरे लेकर
हो गयी पत्नी कीसीकी
दूध पिलाकर
हो गयी माँ कीसीकी
क्या है पहेचन मेरी

जनम लेते ही
मीला बाप काम नाम
हूई शादी तो मीला
पती काम नाम
क्या है मेरी पहेचन

जानते है सब मुझे
रिश्तो के नाम से
मेरा कोई नाम नहीं
क्या है पहेचन मेरी

बदल रहा है अब ज़माना
उड़ रही हूँ मई अब आकाश
मेने भी कदम रखा है चाँद पर
हो रहा अब नाम मेरा
होगी अब पहेचन मेरी

खेल हो या हो जंग काम मैदान
घर हो या दफ्तर
हर जगह सफल हूई हूँ मै
हो रहा है अब नाम मेरा
होगी अब पहेचन मेरी

नहीं अफ़सोस अब मुझे
नारी होने काम है गर्व मुझे
नाम है जग में जिनका
सब की जननी हूँ मै
येही है पहचान मेरी
येही है पहचान मेरी