Wednesday, September 8, 2010

मुड मुड के

मुड मुड के जो देखा उसका चहेरा
धक् धक् करते रहे गया दिल मेरा

छाया है इस कदर दिलो दिमाग में
उस का चहेरा
देखता हूँ अयेना नज़र आता है
उस का चहेरा

नहीं कोई एसा इस दुनिया में
जैसे है उस का चहेरा
चाँद भी छुप जाता है बदलो में
देखकर उस का चहेरा

नहीं कोई एसी अप्सरा
जैसे है उस का चहेरा
फ़रिश्ते भी आकर धरती पर
देखते है उस का चहेरा

बनानेवाला भी इतराता होगा
बनके उस का चहेरा
नहीं फिर कभी बनाया
उस के जैसा चहेरा
नहीं है वो कोई और
जिसका देखा मैंने चहेरा
है वो मेरी जीवन संगनी
उसका है ऐसा चहेरा