मुड मुड के जो देखा उसका चहेरा
धक् धक् करते रहे गया दिल मेरा
छाया है इस कदर दिलो दिमाग में
उस का चहेरा
देखता हूँ अयेना नज़र आता है
उस का चहेरा
नहीं कोई एसा इस दुनिया में
जैसे है उस का चहेरा
चाँद भी छुप जाता है बदलो में
देखकर उस का चहेरा
नहीं कोई एसी अप्सरा
जैसे है उस का चहेरा
फ़रिश्ते भी आकर धरती पर
देखते है उस का चहेरा
बनानेवाला भी इतराता होगा
बनके उस का चहेरा
नहीं फिर कभी बनाया
उस के जैसा चहेरा
नहीं है वो कोई और
जिसका देखा मैंने चहेरा
है वो मेरी जीवन संगनी
उसका है ऐसा चहेरा
धक् धक् करते रहे गया दिल मेरा
छाया है इस कदर दिलो दिमाग में
उस का चहेरा
देखता हूँ अयेना नज़र आता है
उस का चहेरा
नहीं कोई एसा इस दुनिया में
जैसे है उस का चहेरा
चाँद भी छुप जाता है बदलो में
देखकर उस का चहेरा
नहीं कोई एसी अप्सरा
जैसे है उस का चहेरा
फ़रिश्ते भी आकर धरती पर
देखते है उस का चहेरा
बनानेवाला भी इतराता होगा
बनके उस का चहेरा
नहीं फिर कभी बनाया
उस के जैसा चहेरा
नहीं है वो कोई और
जिसका देखा मैंने चहेरा
है वो मेरी जीवन संगनी
उसका है ऐसा चहेरा
2 comments:
नियमित लिखिये और पढ़िये खूब!
बहुत खूब।
आंच पर संबंध विस्तर हो गए हैं, “मनोज” पर, अरुण राय की कविता “गीली चीनी” की समीक्षा,...!
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