Sunday, January 6, 2008

हर हाल मे जीना है - 2

हार हमारी मंजिल नही
हार के फिर हमे जीतना है
फतह हो जबतक संगर्ष हमे करना है
हमे तो हर हाल मे जीना है

मौत हमारा इरादा नही
जिन्दगी से लड़ना है
जब तक है साँस तब तक हमे जीना है
हमे तो हर हाल मे जीना है

जीना है सब के लिए
छुपाकर गम अपना
सब को हँसाना है
हमे तो हर हाल मे जीना है

देखो इस दीपक को
जलकर भी रोशन है
जलाकर खुदको कुन्दन हमे बनना है
हमे तो हर हाल मे जीना है.

3 comments:

Unknown said...

very very inspiring poem,great.

समयचक्र said...

जीवन मे अगर आए है तो जीना पड़ेगा बहुत बढ़िया

जेपी नारायण said...

बिल्कुल सही दोस्त,
आंधियों में भी दिवा का दीप जलना जिंदगी है,
पत्थरों का तोड़ निर्झर का निकलना जिंदगी है,
सोचता हूं मैं किसी छाया तले विश्राम कर लूं,
किंतु कोई कह रहा दिन रात चलना जिंदगी है।