कितना प्यार है तुमसे बता नही सकते
काश चीर के दिल अपना दिखा सकते
हर नज़रों मे है नज़र तेरी
हवाओ मे है खुशबू तेरी
हर आहट मे है अहसास तेरा
कितना प्यार है तुमसे बता नही सकते
काश चीर के दिल अपना दिखा सकते
बंद आखो मे है तस्वीर तेरी
खुली आखो मे है ख्याल तेरे
नीद मी भी है सपने तेरे
कितना प्यार है तुमसे बता नही सकते
काश चीर के दिल अपना दिखा सकते
आरजू नही जिस्म की तेरी
जिस्म तो मिटटी है, मिटटी मे मिल्जयेगा
दिल से दिल मिले तो प्यार अमर हो जाएगा
कितना प्यार है तुमसे बता नही सकते
काश चीर के दिल अपना दीखा सकते
विश्वास है हमको प्यार तुमको भी है हमसे
जमाने की जंजीरों ने सीए है लभ तेरे
वरना तुम भी कहेती हमसे
कितना प्यार है तुमसे बता नही सकते
काश चीर के दिल अपना दिखा सकते
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3 comments:
प्यार से भरपूर एक प्यारी कविता प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद.
कितना प्यार है तुमसे बता नही सकते
काश चीर के दिल अपना दिखा सकते
वाह!!!
***राजीव रंजन प्रसाद
बढ़िया, लिखते रहिये.
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