Monday, September 7, 2009

जब इरादा हो पक्का

नही पाव जमीन पर मेरे
छू लुंगी आसमान आज
आशियाना होगा चाँद सितारों में
जब इरादा हो पक्का

न डारूंगी तूफानों से
साथी है तूफ़ान मेरे
होगी रौशनी अंधेरो में
जब इरादा हो पक्का

न रुकुंगी थककर रस्ते में
चाहे चुबे कटे पग में
फूल बंजायेगे कांटे भी
जब हो इरादा पक्का

याद करेंगे सभी मुझे
करोंगी ऐसा काम
होगा दुनिया में नाम मेरा
जब हो इरादे पक्के

1 comment:

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया!!