कौन हूँ मै
क्या है पहेचन मेरी
बेटी हूँ मै कीसीकी
बहू मै कीसीकी
राखी बंधकर
बन गयी बहेन कीसीकी
क्या है पहेचन मेरी
सात फेरे लेकर
हो गयी पत्नी कीसीकी
दूध पिलाकर
हो गयी माँ कीसीकी
क्या है पहेचन मेरी
जनम लेते ही
मीला बाप काम नाम
हूई शादी तो मीला
पती काम नाम
क्या है मेरी पहेचन
जानते है सब मुझे
रिश्तो के नाम से
मेरा कोई नाम नहीं
क्या है पहेचन मेरी
बदल रहा है अब ज़माना
उड़ रही हूँ मई अब आकाश
मेने भी कदम रखा है चाँद पर
हो रहा अब नाम मेरा
होगी अब पहेचन मेरी
खेल हो या हो जंग काम मैदान
घर हो या दफ्तर
हर जगह सफल हूई हूँ मै
हो रहा है अब नाम मेरा
होगी अब पहेचन मेरी
नहीं अफ़सोस अब मुझे
नारी होने काम है गर्व मुझे
नाम है जग में जिनका
सब की जननी हूँ मै
येही है पहचान मेरी
येही है पहचान मेरी
Saturday, March 13, 2010
Monday, March 1, 2010
क्यों जनम लिया हमने
क्यों जनम लिया हमने
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है
बचपन बीत गया खेल कूद में
जवानी बीत रही है दल रोटी के चाकर में
बुढ़ापा बीतेगा दावा दारू में
येही जीवन है तो
क्यों जनम लिया हमने
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है
चहेरा कितन सुन्दर है
यह आइना कहता है
मन कितना मैला है
यह हम जानते है
न धो सके मन की मेल को तो
क्यों जनम लिया हमने
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है
हर तरफ है खून की नदिया
हर पल इंसानियत काम खून करते है
जानवरों से भी बदतर है जीवन
न बन सके इन्सान तो
क्यों जनम लिया हमने
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है
न बन सके हम राम
न बन सके हम लखन
महात्माओ के आदर्शो को धो कर पि गए हम
सच की रह पर न चल सके तो
क्यों हमने जनम लिया
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है
सब धर्मो काम एक ही सर
अल्लाह इश्वर सब एक ही नाम
फिर भी धर्म के नाम पर लड़ते है
है इश्वर भी हैरान
क्यों जन्म दिया इन्सान को
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है
बचपन बीत गया खेल कूद में
जवानी बीत रही है दल रोटी के चाकर में
बुढ़ापा बीतेगा दावा दारू में
येही जीवन है तो
क्यों जनम लिया हमने
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है
चहेरा कितन सुन्दर है
यह आइना कहता है
मन कितना मैला है
यह हम जानते है
न धो सके मन की मेल को तो
क्यों जनम लिया हमने
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है
हर तरफ है खून की नदिया
हर पल इंसानियत काम खून करते है
जानवरों से भी बदतर है जीवन
न बन सके इन्सान तो
क्यों जनम लिया हमने
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है
न बन सके हम राम
न बन सके हम लखन
महात्माओ के आदर्शो को धो कर पि गए हम
सच की रह पर न चल सके तो
क्यों हमने जनम लिया
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है
सब धर्मो काम एक ही सर
अल्लाह इश्वर सब एक ही नाम
फिर भी धर्म के नाम पर लड़ते है
है इश्वर भी हैरान
क्यों जन्म दिया इन्सान को
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है
Subscribe to:
Posts (Atom)