क्यों जनम लिया हमने
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है
बचपन बीत गया खेल कूद में
जवानी बीत रही है दल रोटी के चाकर में
बुढ़ापा बीतेगा दावा दारू में
येही जीवन है तो
क्यों जनम लिया हमने
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है
चहेरा कितन सुन्दर है
यह आइना कहता है
मन कितना मैला है
यह हम जानते है
न धो सके मन की मेल को तो
क्यों जनम लिया हमने
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है
हर तरफ है खून की नदिया
हर पल इंसानियत काम खून करते है
जानवरों से भी बदतर है जीवन
न बन सके इन्सान तो
क्यों जनम लिया हमने
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है
न बन सके हम राम
न बन सके हम लखन
महात्माओ के आदर्शो को धो कर पि गए हम
सच की रह पर न चल सके तो
क्यों हमने जनम लिया
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है
सब धर्मो काम एक ही सर
अल्लाह इश्वर सब एक ही नाम
फिर भी धर्म के नाम पर लड़ते है
है इश्वर भी हैरान
क्यों जन्म दिया इन्सान को
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है
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2 comments:
शायद सभी के दिल में यही सवाल आता है कभी कभी......बढ़िया अभिव्यक्ति!
ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.
आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.
-समीर लाल ’समीर’
जनम क्यूं लिया .........हमने कहां लिया कोई चॉयस थोडी ही था हमारे पास .
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