Monday, March 1, 2010

क्यों जनम लिया हमने

क्यों जनम लिया हमने
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है

बचपन बीत गया खेल कूद में
जवानी बीत रही है दल रोटी के चाकर में
बुढ़ापा बीतेगा दावा दारू में
येही जीवन है तो
क्यों जनम लिया हमने
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है

चहेरा कितन सुन्दर है
यह आइना कहता है
मन कितना मैला है
यह हम जानते है
न धो सके मन की मेल को तो
क्यों जनम लिया हमने
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है

हर तरफ है खून की नदिया
हर पल इंसानियत काम खून करते है
जानवरों से भी बदतर है जीवन
न बन सके इन्सान तो
क्यों जनम लिया हमने
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है

न बन सके हम राम
न बन सके हम लखन
महात्माओ के आदर्शो को धो कर पि गए हम
सच की रह पर न चल सके तो
क्यों हमने जनम लिया
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है

सब धर्मो काम एक ही सर
अल्लाह इश्वर सब एक ही नाम
फिर भी धर्म के नाम पर लड़ते है
है इश्वर भी हैरान
क्यों जन्म दिया इन्सान को
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है

2 comments:

Udan Tashtari said...

शायद सभी के दिल में यही सवाल आता है कभी कभी......बढ़िया अभिव्यक्ति!



ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.


आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

-समीर लाल ’समीर’

Asha Joglekar said...

जनम क्यूं लिया .........हमने कहां लिया कोई चॉयस थोडी ही था हमारे पास .