Monday, August 6, 2007

हमारा जीवन - भाग २

जैसे अगले अंक मे अपने आप को खुश रखने कि बात कि थी, हम खुश होगे तो किसी के सहारे बन सकेगे इसीलिये हमेशा मुश्क्रते रहेना है। मुश्क्रता हुआ चाहेरा हमेशा गुलाब कि तरह खिला रहेता है, जैसे कि रोता हुआ बचा भी कोई खिलाना नही चाहता, वैसे ही एक उदास और रोते हुए से सभी कतराते है। अपना दुःख दर्द दुनिया समाज नही सकेगी, उसे मजाक बनके हसेगी।
किशोर जी ने एक गीत मे कहा है।

जो तुम हसोगे तो दुनिया हसेगी
रोइगी तुम तो न रोइगी दुनिया
न रोइगी दुनिय;
तेरे आसुओ को समाज न सकेगी,
तेरे आसुओ पे हसेगी ये दुनिया
हसेगी ये दुनिया।

हमे जीना है, फिर हम हस्के जीए या रोके , हर हाल मे हमे जीना है , फिर कियो न हस्के जीए । अपनी हसी गुलाब कि तरह हर जगह फहेलादे ।

दिन कि शरुआत अगर मुस्कराने से हो तो पुरा दिन खुसी से बीत इसीलिये जब हम नीद से जागें तो मुस्क्रके उठे । मुस्कराते चहरे तो दर्पन मे देखे, अपने आप को मुश्क्रते देख कर, शारीर मे अजीब सी शक्ति उत्पन होगी । इस शक्ति को बहार निकलना है ।

अगले भाग मे

2 comments:

Shastri JC Philip said...

आज पहली बार आपके चिट्ठे पर आया एवं आपकी रचनाओं का अस्वादन किया. आप अच्छा लिखते हैं, लेकिन आपकी पोस्टिंग में बहुत समय का अंतराल है. सफल ब्लागिंग के लिये यह जरूरी है कि आप हफ्ते में कम से कम 3 पोस्टिंग करें. अधिकतर सफल चिट्ठाकार हफ्ते में 5 से अधिक पोस्ट करते हैं. किसी भी तरह की मदद चाहिये तो मुझ से संपर्क करे webmaster@sararhi.info -- शास्त्री जे सी फिलिप

मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
2020 में 50 लाख, एवं 2025 मे एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार!!

manu said...

thanks shastriji
i will try to post maximum, and will contact you.
manu