Monday, December 31, 2007

आशा

आज मै जियुगी नई उमंग से
जो बीत गया वो सपना था
बनाउंगी दुनिया अपने रंग से

आता है तैरना मुझे
क्यों करू गम उसका
जो छोड़ गया मजधार मे
बनाउंगी दुनिया अपने रंग से

बनुगी मै उस दिलबर की
जो छुएगा आत्मा मेरी
देगा दस्तक जो मन को मेरे
बनाउंगी दुनिया अपने रंग से

है इंतजार उसका
जोद्देगा जो दिल से दिल मेरा
आएगा वो फरिश्ता मेरा
बनाउंगी दुनिया अपने रंग से

बसेगा फिर से संसार मेरा
होगी किल्कारिया आगन मे मेरे
बन जाएगा स्वर्ग घर मेरा
बनाउंगी दुनिया अपने रंग से

2 comments:

इरफ़ान said...

नए साल में आप और भी अधिक ऊर्जा और कल्पनाशीलता के साथ ब्लॉगलेखन में जुटें, शुभकामनाएँ.

www.tooteehueebikhreehuee.blogspot.com
ramrotiaaloo@gmail.com

ghughutibasuti said...

नववर्ष की शुभकामनाएँ ।
घुघूती बासूती