कैसे भुला दु माँ तुजे,
तुने जनम दिया है मुझे
तेरी गोद में खेला है बचपन
हर साँस दी है तुने मुझे
कैसे भुला दु माँ तुजे
लगी जब ठोकर मुझे
दर्द हुआ है तब तुजे
कैसे भुला दु माँ तुजे
मेरी नीद में गवई राते तुने
मेरी एक हसी पर जान लुटाई तुने
कैसे भुला दु माँ तुजे
है वोः खुशनसीब जिनके साथ है माँ
मे बदनसीब दूंदता तुजे हर नगर में माँ
कैसे भुला दु माँ तुजे
जन्म दत्ता है प्रभु जननी है माँ
रब से पहेले नमन है तुझको माँ
कैसे भुलादू माँ तुजे
1 comment:
भावुक कर दिया आपने. माँ के विषय में सुन्दरता से लिखा है.
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