घर से भी ज्यादा वक़्त गुजरा है दफ्तर में
भूल जाते है घर को आकर हम दफ्तर में
भिन भिन प्रान्त के है साथी
हर भाषा यहाँ बोली जाती
जैसे भारत की छबी है दफ्तर में
भूल जाते है घर को आकर हम दफ्तर में
जन्म दीन हो या हो प्रमोशन
या छा जाये कभी ख़ामोशी
हर पल साथ गुजरा है दफ्तर में
भूल जाते है घर को आकर हम दफ्तर में
न कोई रंजीश न कोई गिला
इक डाली के है फूल सभी
तबी तो गर्व हम कहते है
बैंक ऑफ़ बरोदा है हमारा दफ्तर
भूल जाते है घर को आकर हम दफ्तर में
भूल जाते है घर को आकर हम दफ्तर में
भिन भिन प्रान्त के है साथी
हर भाषा यहाँ बोली जाती
जैसे भारत की छबी है दफ्तर में
भूल जाते है घर को आकर हम दफ्तर में
जन्म दीन हो या हो प्रमोशन
या छा जाये कभी ख़ामोशी
हर पल साथ गुजरा है दफ्तर में
भूल जाते है घर को आकर हम दफ्तर में
न कोई रंजीश न कोई गिला
इक डाली के है फूल सभी
तबी तो गर्व हम कहते है
बैंक ऑफ़ बरोदा है हमारा दफ्तर
भूल जाते है घर को आकर हम दफ्तर में
1 comment:
सही चित्र खींचा दफ्तर का!
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