Saturday, September 29, 2007

माँ


मैंने पूछा बाग़ से माँ क्या है
बाग़ ने कहा माँ एक एसा गुलशन है
जिसका कोई जवाब नही

मैंने पूछा समुन्दर से माँ क्या है

समुन्दर ने कहा माँ एक एसी सीप है
जो सीने मे हजारो राज छिपाये हुए है

मैंने पूछा सूरज से माँ क्या है
सूरज ने कहा माँ एसा ब्रह्माण्ड है
जिसके आगे मे कुछ भी नही


मैंने पूछा इश्वर से माँ क्या है
इश्वर ने कहा माँ एक एसा वरदान है
जो दुनिया मे सबसे माहान है।

मैं पूछा अपने दिल से माँ क्या है
दिल ने कहा माँ ज़िन्दगी का एसा सच है
जिसके सिवाए ज़िन्दगी कुछ भी नही है

3 comments:

शिवानी said...

manu maa to mahan hai hi ...ye to atal satya hai per us maa ki mahima sunane wale tum aur bhi mahan ho ...i salute you for your dedication...weldone..keep writing...god bless you...

shalini said...

........hello...!!!
the poem u have posted is v v beautiful and wonderful...

shalini said...

........hello...!!!
the poem u have posted is v v beautiful and wonderful...