Wednesday, September 8, 2010

मुड मुड के

मुड मुड के जो देखा उसका चहेरा
धक् धक् करते रहे गया दिल मेरा

छाया है इस कदर दिलो दिमाग में
उस का चहेरा
देखता हूँ अयेना नज़र आता है
उस का चहेरा

नहीं कोई एसा इस दुनिया में
जैसे है उस का चहेरा
चाँद भी छुप जाता है बदलो में
देखकर उस का चहेरा

नहीं कोई एसी अप्सरा
जैसे है उस का चहेरा
फ़रिश्ते भी आकर धरती पर
देखते है उस का चहेरा

बनानेवाला भी इतराता होगा
बनके उस का चहेरा
नहीं फिर कभी बनाया
उस के जैसा चहेरा
नहीं है वो कोई और
जिसका देखा मैंने चहेरा
है वो मेरी जीवन संगनी
उसका है ऐसा चहेरा

हिंदी दिवस

हिंदी हमारी भाषा 

आज हिंदी दिवस है
बोलेगे लिखेगे सब हिंदी

भाषण करते है अंग्रेजी में
कहते है हम हिन्दुस्तानी
न बोले जो हिंदी
वो कैसे हिन्दुस्तानी

भाषाए सभी है प्यारी
तमिल तेलगु या हो मराठी
हमें लगे सभी प्यारी
पर एक सुर में जो बाधे 
वो हिंदी भाषा है न्यारी

कागज़ पर न अपनाओ
कागज़ तो फट कट जाते है
राजभाषा  का दर्जा दिया है
दिल से अपनाओ हिंदी को

दिखादो दुनियावालो को
एक दागे से बंधे है हम
हिंदी हमारी भाषा है
जय हिंद हमारा नारा है

Thursday, July 22, 2010

मुझे जीने दो 

तेरी कोख मे पल रही हु माँ 
मुझे इस दुनिया मे आने दे

मै तो निर्जीव थी
जीवन दिया तुने मुझे
अपने खून से है सीचा मुझे
मुझे इस दुनिया मे आने दे

देखती  हूँ दुनिया तेरी आँखों से 
महेसूस करती  हूँ तेरी बातो से
यह  दुनिया बढ़ी  खुबसूरत है
मुझे इस दुनिया मे आने दे

न मैंने कोई पाप किया
न तुने कोई पाप किया
तेरे प्यार की सौघात हूँ मै
मुझे इस दुनिया मे आने दे

न कर त्याग मेरा
ज़माने के तानो से
सामना तो करना होगा सारे जहा से 
मुझे इस दुनिया मे आने दे

आउंगी जब मे इस दुनिया मे
तेरा अंचल खुशियों से भर दुगी 
सोई हुई ममता को मै  फिर से जगा दूंगी 
मुझे इस दुनिया मे आने दे


तेरी कोख मे पल रही हु माँ 
मुझे इस दुनिया मे आने दे 



Saturday, March 13, 2010

क्या है पहेचन मेरी

कौन हूँ मै
क्या है पहेचन मेरी

बेटी हूँ मै कीसीकी
बहू मै कीसीकी
राखी बंधकर
बन गयी बहेन कीसीकी
क्या है पहेचन मेरी

सात फेरे लेकर
हो गयी पत्नी कीसीकी
दूध पिलाकर
हो गयी माँ कीसीकी
क्या है पहेचन मेरी

जनम लेते ही
मीला बाप काम नाम
हूई शादी तो मीला
पती काम नाम
क्या है मेरी पहेचन

जानते है सब मुझे
रिश्तो के नाम से
मेरा कोई नाम नहीं
क्या है पहेचन मेरी

बदल रहा है अब ज़माना
उड़ रही हूँ मई अब आकाश
मेने भी कदम रखा है चाँद पर
हो रहा अब नाम मेरा
होगी अब पहेचन मेरी

खेल हो या हो जंग काम मैदान
घर हो या दफ्तर
हर जगह सफल हूई हूँ मै
हो रहा है अब नाम मेरा
होगी अब पहेचन मेरी

नहीं अफ़सोस अब मुझे
नारी होने काम है गर्व मुझे
नाम है जग में जिनका
सब की जननी हूँ मै
येही है पहचान मेरी
येही है पहचान मेरी

Monday, March 1, 2010

क्यों जनम लिया हमने

क्यों जनम लिया हमने
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है

बचपन बीत गया खेल कूद में
जवानी बीत रही है दल रोटी के चाकर में
बुढ़ापा बीतेगा दावा दारू में
येही जीवन है तो
क्यों जनम लिया हमने
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है

चहेरा कितन सुन्दर है
यह आइना कहता है
मन कितना मैला है
यह हम जानते है
न धो सके मन की मेल को तो
क्यों जनम लिया हमने
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है

हर तरफ है खून की नदिया
हर पल इंसानियत काम खून करते है
जानवरों से भी बदतर है जीवन
न बन सके इन्सान तो
क्यों जनम लिया हमने
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है

न बन सके हम राम
न बन सके हम लखन
महात्माओ के आदर्शो को धो कर पि गए हम
सच की रह पर न चल सके तो
क्यों हमने जनम लिया
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है

सब धर्मो काम एक ही सर
अल्लाह इश्वर सब एक ही नाम
फिर भी धर्म के नाम पर लड़ते है
है इश्वर भी हैरान
क्यों जन्म दिया इन्सान को
कभी कभी मेरे दिल में सवाल आता है

Thursday, February 25, 2010

मेरा धफ्तर

घर से भी ज्यादा वक़्त गुजरा है दफ्तर में
भूल जाते है घर को आकर हम  दफ्तर में

भिन भिन  प्रान्त के है साथी
हर भाषा यहाँ बोली जाती
जैसे भारत की छबी है दफ्तर में
भूल जाते है घर को आकर हम दफ्तर में

जन्म  दीन हो या हो प्रमोशन
या  छा  जाये कभी ख़ामोशी
हर पल साथ गुजरा है दफ्तर में
भूल जाते है घर को आकर हम दफ्तर में

न कोई  रंजीश  न  कोई  गिला
इक डाली  के है  फूल सभी
तबी  तो  गर्व  हम  कहते  है
बैंक  ऑफ़  बरोदा  है  हमारा  दफ्तर
भूल जाते है घर को आकर हम दफ्तर में